नए साल में घर में लाए यह चिजें, लक्ष्मी माँ बरसायेंगी कृपा
नए साल में घर में लाए यह चिजें, लक्ष्मी माँ बरसायेंगी कृपा
Read More
आधार पर पता, नाम, जन्मतिथि घर बैठे बदली जा सकती है… देखें प्रक्रिया नया आधार
आधार पर पता, नाम, जन्मतिथि घर बैठे बदली जा सकती है… देखें प्रक्रिया नया आधार
Read More
मौसम ने बदली चाल – ठंड/बारीश और कोहरे का अलर्ट..
मौसम ने बदली चाल – ठंड/बारीश और कोहरे का अलर्ट..
Read More
मौसम अपडेट: देश में कड़ाके की ठंड, आईएमडी ने जारी की चेतावनी
मौसम अपडेट: देश में कड़ाके की ठंड, आईएमडी ने जारी की चेतावनी
Read More
मानसून 2026 का पूर्वानुमान: अल नीनो का संभावित खतरा
मानसून 2026 का पूर्वानुमान: अल नीनो का संभावित खतरा
Read More

गेहूँ में दूसरी सिंचाई: कल्ले बढ़ाने और बंपर पैदावार का सटीक तरीका

गेहूँ में दूसरी सिंचाई: कल्ले बढ़ाने और बंपर पैदावार का सटीक तरीका ; गेहूँ की खेती में दूसरी सिंचाई का समय सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि लगभग 40 से 45 दिन की यह अवस्था पौधों में कल्ले निकलने की मुख्य अवधि होती है। पहली सिंचाई जहाँ पौधों की जड़ों को मजबूती प्रदान करती है, वहीं दूसरी सिंचाई यह सुनिश्चित करती है कि एक ही बीज से अधिक से अधिक टिलर्स विकसित हों। वीडियो के अनुसार, इस समय सही पोषण देने से एक पौधे से 40 से 50 कल्ले तक प्राप्त किए जा सकते हैं, जो आगे चलकर फसल के कुल उत्पादन में बड़ी वृद्धि करते हैं।

खाद और उर्वरक डालने से पहले यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि खेत खरपतवार मुक्त हो। यदि खेत में चौड़ी या संकरी पत्ती वाले खरपतवार (जैसे बथुआ या गुल्ली-डंडा) मौजूद हैं, तो उचित खरपतवारनाशी का उपयोग कर उन्हें नियंत्रित करें। इसके बाद, नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए यूरिया की शेष मात्रा का उपयोग करें। उन्नत किस्मों के लिए प्रति एकड़ कुल 2 से 2.5 बैग यूरिया की आवश्यकता होती है, जिसका बचा हुआ हिस्सा इस दूसरी सिंचाई के दौरान डाल देना चाहिए।

फसल में जबरदस्त हरियाली लाने और रुकी हुई ग्रोथ को शुरू करने के लिए यूरिया के साथ मैग्नीशियम सल्फेट (7-10 किलो) और फेरस सल्फेट (5-7 किलो) का मिश्रण प्रति एकड़ इस्तेमाल करें। ये सूक्ष्म पोषक तत्व क्लोरोफिल के निर्माण में सहायक होते हैं, जिससे पीलापन दूर होता है और पौधों में फुटाव तेज होता है। इसके साथ ही, ऊपर से एनपीके 12:61:00 (1 किलो प्रति एकड़) का स्प्रे करने की सलाह दी गई है, जो फास्फोरस की कमी को पूरा कर जड़ों और कल्लों को अतिरिक्त मजबूती प्रदान करता है।

इस संतुलित खाद प्रबंधन और स्प्रे के फॉर्मूले को अपनाकर किसान भाई कम लागत में अपनी फसल को लहलहाती हुई और स्वस्थ बना सकते हैं। यह तरीका न केवल कल्लों की संख्या बढ़ाता है, बल्कि उन्हें ‘प्रोडक्टिव टिलर्स’ में बदलने में भी मदद करता है जिनसे मोटी बालियाँ निकलती हैं। समय पर किए गए ये उपाय आपके गेहूँ की खेती को सफल बनाने और रिकॉर्ड उत्पादन प्राप्त करने में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।

Leave a Comment